NARESH WAGHELA
अपने कुछ आलम जो अपने जज़्बातों में तब्दील होते हैं
Tuesday 26 January 2016
तुम्हें ही याद करता हूँ...
अकेले बैठे कर मे भी गमों का साथ करता हूँ
तुम्हें बाहों मे पाकर मे तुम्हारी बात करता हूँ
तुम्हें सपनों मे खोया था तुम्हें सपनों मे पाता हूँ
तेरे ख्वावों से मिलकर मे तुम्हें ही याद करता हूँ
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